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GIRL BUSINESS PART 3

खुशी को उसकी मां की बाते. इसलिए भी अच्छी नहीं लगी क्योंकि उन बातों में उसकी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए कुछ भी नहीं था केवल समाज और उसकी परंपराओं को निभाने का भाई भाई था उन्हें ना टूटने देने की एक नासमझ भूल थी कहीं मां के अज्ञान में इसको प्रथा के लिए सम्मान भी था मां की बातों में समाज की परंपराओं और अनैतिक मान्यताओं के लिए

नेक्स्ट

रात के 10:00 हैं खुशी अपनी भतीजी के साथ खेल रही है तभी वहां उसकी भाभी आती है और अपने बेटी को खुशी की गोद से उठाकर रहती है मेरी बेटी को भी अपनी तरफ बिगड़ना चाहती हूं अपना घर तो बस नहीं रहा है दूसरों के घर पर करने चली आई आज के बाद मेरी बेटी से दूर ही रहना नहीं तो सारे रिश्ते भूल जाऊंगी अपनी भाभी के जाने के बाद

खुशी बेड पर लेती और उसके मस्तिष्क में उसके साथ घाटी वह सारी घटनाएं कतार लगाकर खड़ी हो गई और एक-एक विचार बनकर उसके सामने वह तने गलियां बनकर दिखने लगी उसे उसे लंगडी कई के ताने उसे शराबी के ताने अपनी मां के ताने अपनी भाई के ताने अपनी भाभी के ताने अपने पिता के ताने सुनाई देने लगे अचानक उसकी आंखें खुली और वह बेड पर बैठी उसके कपल पर चिंता की लकीरों के साथ पसीना भी आ गया था उसकी आंखों में एक अजीब सा डर था उसने पास रखे गिलास से दो घुट पानी पिया और आंखें बंद कर गहरी सांस लेने लगी फिर खुशी ने

खुशी ने बेड के नीचे से अपनी कॉपी निकाल और लिखना शुरू किया कितनी अजीब व्यवस्था वाली समाज में जी रही है हम लड़कियां जहां बहन को बेचकर भाई का घर बसाया जाता है हर दिन सिर्फ लड़कियों के चेहरे बदलते हैं पर यह हजारों सालों से चली आ रही को बधाई नहीं बदलता और समाज इन आता सत जैसी क बताओ पर गर्व करता है और हम लड़कियों का जीवन बर्बाद होता है समझ नहीं आ रहा अपने परिवार और अपने समाज के लोगों को कैसे समझाऊं ऐसा क्या करूं कि यह को प्रथाएं बंद हो जाए यह मुझे अकेली की समस्या नहीं है यह समस्या हमारे समाज की हर लड़की की है अगर मेरी मदद करने को कोई तैयार नहीं है तो मुझे ही कुछ ऐसा करना होगा कि समाज के लोग इसके खिलाफ सोचने को मजबूर हो जाए इतना लिखकर खुशी नाम अपनी कॉपी वापस बेड के नीचे रखी और वह एक गिलास पानी पीकर लाइट बंद करके सो गई

भैरव लाल अपनी पत्नी के पास गहरी नींद में सोया है, तभी कोई बाहर से दरवाजा खटखटाता है, वह बहुत तेजी से दरवाजा खटखटा रहा है पर कुछ बोल नहीं रहा, इस आवाज से खुशी की मां जाग जाती है और उठकर पूछा

माँ - कौन है"?

पर जवाब नहीं मिलता और दरवाजा लगातार खटखटाता रहा

मां ने दरवाजा खोला तो उनकी आंखें, फटी की फटी रह गई, उनके सामने उनकी बेटी खुशी, बे-हवास अवस्था में खड़ी है, तभी खुशी,उसकी मां की बाहों में गिरी

मां कुछ समझ पाती उससे पहले, भैरवलाल ने पूछा

भैरवलाल - क्या हुआ, छोरी को"?

खुशी - मैंने,,,जहर,,पिया है,,,,मुझे,,,घुटन,,,हो,,रही,,है"! खुशी ने लड़खड़ाते शब्दों में कहां

खुशी के मुंह से खून निकल रहा है और उसके प्राणों का दीपक, धीरे-धीरे बुझ रहा है

भैरवलाल - में,,,डॉक्टर को लेकर आता हूं"! उसने भाग कर जाते हुए कहा

मां ने खुशी को बेड पर लेटाया और रोते हुए पूछा

माँ -  तूने ऐसा क्यों किया"?

तभी वहां खुशी का भाई और भाभी भी आ जाती हैं

भाई - क्या हुआ,,खुशी को"?

मां - इस पगली ने जहर खा लिया है"!

खुशी की मां,,,उसका भाई हिम्मत और उसकी भाभी सीमा,,,उसे होश में लाने के लिए पुकारते हैं, झंझोड़ते हैं पर खुशी ना तो कुछ कह पाती है, ना कुछ कर पाती है

तभी भैरव लाल अपने साथ, गांव का डॉक्टर लेकर आता है, डॉक्टर,,,,खुशी का अच्छे से चेकअप करता है और कहता है

डाक्टर - यह मर चुकी है"?

डॉक्टर की बात सुनकर,सभी की आंखें आंसुओं से भीग जाती है और सभी रोने लगते हैं!

कुछ देर बाद

भैरवलाल घर के बाहर, अपने गांव के वरिष्ठ लोगों के साथ खड़ा है और घर में से रोने की आवाज आ रही है, तभी गांव का एक अनुभवी आदमी, सरपंच से बोलता है

आदमी - सरपंच साहब,,,आत्महत्या का मामला है, अगर पुलिस को पता चल गया तो पूरी समाज की बदनामी होगी,,,मेरी मानो तो रातम-रात,,,,छोरी का अंतिम संस्कार कर दो,,,किसी को पता नहीं चलेगा और पूरा गांव आपके साथ है"!

भैरवलाल को उस अनुभवी व्यक्ति की बात अच्छी लगती है और वह कहता है

भेरवलाल - ठीक है,,,अर्थी,,,तैयार करो"!

फिर खुशी को अर्थी पर लेटा कर ले जाया जाता है और जब मुखाग्नि देने का समय आता है तो भैरवलाल के हाथ में अग्नि दी जाती है, पर वह कठोर हृदय के भेरवलाल का भी दिल पिघल जाता है,,उसके हाथ कांपने लगते हैं,,,वह भी फूट-फूट कर रोने लगता है, और लड़खड़ाते शब्दों में करता है

भेरवलाल - में यह नहीं यह नहीं कर पाऊंगा"!

फिर खुशी का भाई, उसकी चिता को मुखाग्नी देता है और चीता जलने लगती है

नेक्स्ट सीन

सुबह खुशी की भतीजी उठकर, खुशी को ढूंढने लगती हैं, वह कमरे में आकर

बच्ची - बुआ,,,बुआ"! पुकारती है, फिर वह घर के हाल में देखती है, उसकी बुआ की बड़ी सी तस्वीर लगी है और सभी सफेद कपड़े पहन कर,तस्वीर के सामने रो रहे हैं, उस नन्ही सी लड़की ने आकर पूछा

बच्ची - मेरी बुआ कहां है"?

उस बच्ची के सवाल ने सबको, भाव-विभोर कर दिया,,उस नन्ही लड़की ने फिर पूछा

"मेरी बुआ कहां चली गई है"?

तब खुशी की मां ने गुस्से से समाज को कोसते हुए,, अपनी छाती पीट कर, रोते हुए,चिल्ला कर कहा

माँ - आटा-साटा का रिवाज, मेरी बेटी और तेरी बुआ को जिंदा खा गया"!

बच्ची - क्या ये आटा-साटा का रिवाज, एक दिन मुझे भी जिंदा खा जाएगा"? इस नन्ही लड़की के सवाल ने वहां मौजूद, उन सभी को आश्चर्य में डाल दिया, जो आटा-साटा रिवाज पर गर्व करते हैं,, किसी के पास भी उस, नन्ही बच्ची के सवाल का जवाब नहीं है,,, सभी मौन बेठे, उस नन्ही बच्ची की तरफ देख रहे हैं

तभी एक युवक घबराए दौड़ता हुआ आया और उसने कहा

युवक - सरपंच साहब,,,,बाहर पुलिस आई है,,मैंने बाहर बिठा दिया है

नेक्स्ट सीन

इंस्पेक्टर आंखों पर चश्मा लगाए, अपने हवलदार को कुछ समझा रहा है

हवलदार - ठीक है सर,,,, में एसा ही करुणा"!

तभी भेरवलाल ने पास आकर कहा

भेरवलाल - राम-राम साहब,,,में इस गांव का सरपंच, भैरवलाल हूं,,,कहिए,,,आपकी क्या,,,सेवा करें"?

इंस्पेक्टर - सेवा तो हम भी आपकी करना चाहते हैं पर अभी कुछ सवाल लाया हूं,,,उनके सही जवाब दे दीजिए,,,,कल रात को किस लड़की की चिता जलाई थी आपने,? आप ही के घर से रोने की आवाज आ रही है"!

भैरवलाल - मेरी बेटी की चिता जलाई थी, यह मातम उसी के दुख का है"!

इंस्पेक्टर - आपकी बेटी की मौत कैसे हुई और उसे रात में ही क्यों जलाना पड़ा"?

भैरवलाल - बीमारी के कारण मौत हुई है और हमारे समाज में जवान लाशों को ज्यादा देर, घर में नहीं रखते हैं"!

इंस्पेक्टर - मुझे बेवकूफ समझ रखा है, तुम्हारी बेटी ने आत्महत्या की थी, इसीलिए तुमने उसे रातम-रात जलाकर राख बना दिया,,ताकि पुलिस के हाथ कोई सबूत ना लगे"! इंस्पेक्टर ने जोर से चिल्ला कर कहा

भैरवलाल - गर्मी मुझ में भी बहुत है,,,अभी मेरे दिल में मेरी, बेटी की चिता जल रही है, आग से आग नहीं बुझती है,,,इंस्पेक्टर साहब,,,थोड़े ठंडा हो जाइए,, अगर तुमने समाज की रक्षा के लिए, वर्दी पहन रखी है तो मैंने भी अपने समाज के दायित्व के लिए, पगड़ी पहन रखी है और हमारे गांव के फैसले, वर्दी वाला नहीं, पगड़ी वाला करता है"! भैरवलाल ने रोब दिखाते हुए कहा

इंस्पेक्टर - तुम्हें कानून की इज्जत करना सीखाना पड़ेगा,,,मैं,,,तुम्हारी बेटी का कमरा चेक करना चाहता हूं,,,हवलदार ,,,वारंट दिखाओ इन्हें"! इंस्पेक्टर ने हवलदार से कहा

भैरवलाल - हमारे घर तलाशी करने के लिए वारंट की नहीं, हमारी इजाजत की जरूरत पड़ती है,,चलिए,,,आपको कमरा दिखाता हूं"!

जब भेरूलाल,,,इंस्पेक्टर और हवलदार,,,हाल में आते हैं, तब इंस्पेक्टर, ,खुशी की तस्वीर को देखकर,,,भावनात्मक रूप से आहत हो जाता है और न जाने क्यों,,,उसकी तस्वीर की ओर बढ़ने लगता है और उसके सामने घुटने टेककर बैठ जाता है, उसके चश्मे के नीचे से आंसू बहने लगते हैं,,,जैसे खुशी से उसका कोई गहरा रिश्ता हो, फिर इंस्पेक्टर खुशी की तस्वीर पर वही रखा, फूलों का हार पहनाता है और हाथ जोड़कर,,,अपने मन में कहता है

इंस्पेक्टर - मुझे माफ कर दो खुशी,,,मैंने आने में देर कर दी"!

इंस्पेक्टर का यह समर्पण देखकर, वहां मौजूद सभी लोगों को थोड़ा अजीब लगता है, फिर इंस्पेक्टर खड़ा होकर, अपने आप को संभालता है और वह खुशी के कमरे की तरफ बढ़ता हैं

तीनों खुशी के कमरे के बाहर खड़े हैं तब इंस्पेक्टर ने कहा

इंस्पेक्टर - तुम सभी यहीं रुको,,मैं देख कर आता हूं"!

इंस्पेक्टर कमरे के अंदर आया और उसने अंदर से दरवाजा लगाया,,फिर दीवार पर लगी, स्कूल की तस्वीरें उसकी बनाई पेंटिंग्स और प्रतियोगिता में जीती ट्रॉफी देखने लगा,,,,फिर इंस्पेक्टर ने अलमारी,,,बेड के नीचे,,,,रजाई के नीचे,,,, वहां रखे बैग,,,खुशी का पर्स,,,सब कुछ चेक किया पर उसे कुछ नहीं मिलता है, वह निराश होकर बाहर आता है और चलते हुए कहता है

इंस्पेक्टर - चलो हवलदार  "!

घर के बाहर रोड़ पर इंस्पेक्टर, अपनी कार के टायर पर लात मारता है ओर हवलदार से कहता है

इंस्पेक्टर - खुशी के कमरे से कोई सुराग नहीं मिला, वह इतनी आम लड़की नहीं थी, बहुत समझदार,,,होनहार ओर साहसी लड़की थी,,उसके साथ जरूर,,,कुछ बहुत गलत हुआ है"! हवलदार -  सर,,, क्या आप खुशी को जानते हैं"?

इंस्पेक्टर,,,हवलदार से कुछ कहता उससे पहले, खुशी की नन्ही भतीजी,,,इंस्पेक्टर के सामने रोते हुए आई और उसने कहा

बच्ची - आप खुशी बुआ की कहानी ढूंढ रहे हो,,,वह मेरे पास है"!

उस नन्ही सी बच्ची ने अपनी पीठ के पीछे छुपा रखी,,,वह कापी इंस्पेक्टर की और बढ़ाई,,,इंस्पेक्टर ने उस कापी को लेने के लिए, हाथ बढ़ाया

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4 Comments

Gunjan Kamal

14-Dec-2023 10:55 PM

👌👏

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Varsha_Upadhyay

14-Dec-2023 06:10 PM

शानदार

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Mohammed urooj khan

13-Dec-2023 01:55 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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